शनिवार, 23 मई 2020

भोला

ठीक 30 बरस की उम्र में हैजे से उसकी मौत हो गई, गांव से शहर ले जाया गया उसे। इससे पहले कि उसे अस्पताल ले जाया जाता, यमराज ने उसकी जीवन यात्रा को स्वर्ग तक मोड़ दिया, शायद वहीं गया होगा वो, क्योंकि धरती पर तो कोई सुख देखने को मिला नहीं उसे। भोला बचपन से ही मंदबुद्धि था इसलिए कई बार उसके स्कूल में दाखिले की नाकाम कोशिश की गई, गर दाखिला मिला भी तो दो -चार दिन से ज्यादा वो टिका नहीं। अपनी बड़ी बहन जन्म के सात साल बाद पैदा हुआ वो। कई जगह मन्नत मांगी गई दूसरी संतान के लिए। दूसरी संतान के रुप में पुत्र को देखकर उसके माता पिता कुछ यूं ख़ुश हुए कि जैसे जन्मों के अच्छे संचित कर्मों का फल मिल गया हो, धीरे धीरे उनकी सारी उम्मीदों से पानी फिर गया जैसे कुलदीपक की वो कल्पना किए बैठे थे उससे कोसों दूर था भोला, फिर क्या था ईश्वरीय इच्छा के आगे उन्होंने भी घुटने टेक दिए। किशोरावस्था से भोला अपने पिता के साथ खेतों में काम करने लगा लेकिन खुद का विवेक कैसे इस्तेमाल किया जाए इस बात का आभास उसे नहीं था।

बड़ी बहन बीए बीएड कर ली और पड़ौस के ही गांव में शिक्षिका बन गई और पच्चीसवें बरस में ही उसका ब्याह पड़ौस वाले गांव के सरपंच के बेटे से कर दिया गया जो बीकॉम पास था और खेती बाड़ी संभालने लगा।

बहन की विदाई के वक्त भोला फूट फूट कर रोया, भले ही बुद्धि का तनिक अभाव रहा हो उसमें लेकिन संवेदनाएं तो कूट-कूट कर भरी थी।

उसकी बहन प्रिया जल्दी ही दो बच्चों की मां बन गई जो अक्सर गर्मियों की छुट्टी में अपने भोला मामा और दादा दादी के पास जाया करते थे जिनके साथ भोला खेतों में दौड़ लगाया करता था। एक दिन भोला के माता पिता नहीं रहे, वो सुकून से चले गए क्योंकि प्रिया भोला को संभाल लेगी इस बात में उन्हें कोई शक नहीं था।

भोला अपनी बहन के साथ ही रहने लगा, प्रिया की सास भी बहुत भली औरत थी उसने उसकी मजबूरी समझी और भोला का ध्यान रखने की बात की। देखते ही देखते 27 साल का भोला प्रिया के गांव में चर्चा का विषय बन गया जब भी बाहर निकलता तो गांव के बच्चें उसे चिढ़ाते लेकिन वो बिना ध्यान दिए अपनी ही दुनिया में गुम रहता। अपनी बहन के बच्चों को शहर के स्कूल तक छोड़ने वाली बस तक छोड़ आता, साग भाजी काटकर रख देता प्रिया के नौकरी से लौटने के पहले ही।

प्रिया भी उससे प्रेम करती लेकिन भोला को लेकर जो दुनिया असंवेदनशील दृष्टीकोण था उसे देखकर उसके मन में एक उदासी अनचाहे ही घर कर जाती और वो अपना आपा खो बैठती और भोला को खरी खोटी सुना बैठती दूसरे ही पल शांत हो जाती और अपने ही शब्दों पर पछताती। आज भोला के जीवन का अंतिम दिन था, आंसु बिना अनुमति लिए ही बरस पड़े, मन व्याकुल हो उठा, लेकिन ये सोचकर उसने अपने दिल को समझा लिया कि शायद दुसरी दुनिया में तो उसकी आत्मा को शांति मिले।

शिल्पा रोंघे

© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति

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