बुधवार, 8 जून 2022

व्यंग्य-आदर्श महिला बनने की ट्रेनिंग


 नीरज ने सोचा कि शहर की लड़कियों को आदर्श कैसे बनाया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाए, तो कई लड़कियों की रुचि उसमें जगी। शहर की कई लड़कियों ने उसमें दाखिला लिया।

नीरज ने एक-एक करके सबकी पसंद पूछी “तुम कैसे लड़के से शादी करना चाहती हो।’’
सबसे पहले कमला ने कहा “कुछ नहीं लड़का अच्छा होना चाहिए उसका अतीत मायने नहीं रखता, मुझे नहीं जानना उस इंसान से जुड़ी महिला के बारे में ,क्योंकि वो उसके अतीत की बात है, ना कि वर्तमान की। ’’
नीरज ने कहा “पैसे वाला हो, तो उसका अतीत भी मायने नहीं रखता, मतलब तुम लालची महिला हो।’’
फिर विमला से उसकी पसंद पूछी तो जवाब मिला “एकदम सज्जन पुरुष होना चाहिए।’’
नीरज ने कहा “मतलब तुम जजमेंटल हो, अरे, इससे तुम्हें क्या मतलब, सुधार देना उसे तुम शादी के बाद।’’
फिर रेखा ने उत्तर दिया “स्वाभिमानी होना चाहिए मतलब दहेज वगैरह ना ले।’’
.नीरज ने कहा “तुम्हें लगता है बिना इन्वेस्टमेंट किये तुम्हें मुनाफ़ा मिल जाए।’’
फिर गीता ने जवाब दिया “मैं अपने माता पिता की पसंद से शादी करुंगी।’’
नीरज ने कहा “मतलब आप जातिवादी और भाषावादी है।”
रुपा ने कहा “नहीं, मैं तो लव मैरिज करुंगी, अपनी पसंद से चुनाव करुंगी।’’
नीरज ने कहा “अरे जो अपने मां बाप की ना हुई वो किसी और की क्या होगी?”
शीला ने कहा “मेरा पति सुंदर होना चाहिए।”
नीरज ने कहा “मतलब आप आकर्षण के आधार पर शादी करना चाहती है ना कि सच्चे प्रेम के आधार पर।’’
मीता ने जवाब दिया “सुंदरता मायने नहीं रखती वो बुद्धिमान होना चाहिए।’’
नीरज ने कहा “अगर पढ़ा लिखा हो तो कैसा दिखता है ये मायने नहीं रखता। मतलब तुम अंहकार के आधार पर पति चुनना चाहती हो।’’
मधुमिता ने कहा “मैं तो एक साधारण
लड़के से शादी करुंगी।’’
“मतलब तुम्हें पति नहीं गुलाम चाहिए, जिस पर तुम अपना रौब झाड़ सको।’’
रुचि ने कहा “मैं हाउसवाइफ़ बनना पसंद करुंगी यानि घर की देखरेख करना पसंद करुंगी।”
“यानि मुफ़्त की रोटियां खाना पसंद करोगी।” नीरज ने कहा
रुचि ने कहा “लेकिन घर के काम में भी पूरा दिन चला जाता है।’’
“तो क्या हुआ ?’’ नीरज ने जवाब दिया।
प्रेरणा ने कहा “घर संभालना मेरे बस की बात नहीं, मैं तो बस करियर पर ध्यान दूंगी।”
“मतलब होटल के खाने पर पैसा बर्बाद करो और तुम्हारे बच्चें रहेंगे झूला घर में।’’ नीरज ने कहा ।
थोड़ी देर में क्लॉस खत्म हो गई। नीरज जा चुका था, लड़कियां भी बस क्लॉस से निकलने की तैयारी में थी, तभी वहां गुलाबो आई जो सबको चाय दे रही थी,
उसने कहा '' मैंने इनसे ही ट्रेनिंग ली और चुप रहना सीखा।
लड़कियों ने कहा “कुछ फ़ायदा हुआ ?’’
“हां चुपचाप सुबह उठकर घर के सारे काम निपटा लेती हूं महीने की पूरी कमाई पति को दे देती हूं, वो कभी-कभी शराब पीकर पीटता भी है, वो अपनी कमाई दूसरी औरतों और शराब पर लूटा देता है फिर भी कुछ नहीं कहती हूं। इनकी सलाह सुनकर सोशल मीडिया का उपयोग बंद कर दी हूं। " लेकिन नीरज जी है कहां ये लड़कियों ने पूछा ’’
गुलाबो ने कहा “सोशल मीडिया पर लाईव दे रहे है कि आदर्श नारी कैसे बना जाए।’’
“क्या तुम्हारी मदद की उन्होंने’’ लड़कियों ने फिर पूछा
जवाब मिला “अरे मुफ़्त की सलाह देते है ये क्या कम है”

एक लड़की ने कहा ‘मत रहो यहां पर इससे पहले कि ये अपनी दोगली पितृसत्तामक बातों से तुम्हारा सोचने का तरीका बदल दे। चाहो तो हमारे स्कूल में आ जाओं, वहां छोटे बच्चों को संभालने के लिए महिला की ज़रुरत हैं, वहां तुम्हारें बारे में अपने टीचर्स को बता देंगे।’’

तभी लड़कियां आपस में बात करने लगी
इस वर्कशॉप से हमारी आंखें उतनी नहीं खु़ली नहीं जितनी की गुलाबो की बातों से, सच में अनुभव कागजी बातों से ज्यादा मायने रखता है।
शिल्पा रोंघे

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व्यंग्य-आदर्श महिला बनने की ट्रेनिंग

  नीरज ने सोचा कि शहर की लड़कियों को आदर्श कैसे बनाया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाए, तो कई लड़कियों की रुचि उसमें जगी। शहर की कई लड़कियों ने...