महेश और सुरेश एक ही क्लॉस
में पढ़ा करते थे। महेश साधारण कद काठी का आकर्षक लड़का था, जो केवल अपनी पढ़ाई पर
ही ध्यान देता था।
वहीं सुरेश एक ज़िंदादिल
लड़का था जो हर वक्त पार्टी, तो कभी सिनेमा देखने में व्यस्त रहता था वो क्लॉस का
सबसे सुंदर लड़का था, जिसको कई लड़कियां पसंद करती थी। तो वही महेश का स्वभाव
शर्मिला था, तो उसकी बहुत ही कम लड़कियों से दोस्ती हो पाती थी और वो ये सोचता था
कि ये वक्त करियर बनाने का है तो प्यार से जितना दूर रहा जाए उतना अच्छा है, वो तो
बाद में भी किया जा सकता है। तो वहीं सुरेश कभी- कभार ही कॉलेज आता था, उसे लगा वो
सबसे खूबसूरत लड़कों में से एक है तो यही काफी है।
कई साल बीत गए एक दिन
महेश सुरेश से मिलने गया तो पता चला कि महेश एक मशहूर साइंटिस्ट बन चुका है
तो वहीं सुरेश एक 9 से
5 वाली साधारण नौकरी कर रहा था जिससे वो ख़ुश नहीं था। उसने देखा कि महेश की शादी
तो एक बहुत सुंदर और योग्य लड़की से हो गई
और उसे अभी तक अपने योग्य लड़की ही नहीं मिली।
उसे महेश के घर जाकर
बहुत अच्छा लगा उसकी पत्नी ने भी उसको बहुत अच्छा खाना बनाकर खिलाया।
जब वो अपने घर पहुंचा
तो उसने अपनी बहन से कहा “दीदी देखो महेश को एक अच्छी लड़की मिल गई, लेकिन मुझे क्यों नहीं ? मुझ पर तो कई लड़कियां मरती थी कॉलेज के
दिनों में।’’
“देखो सच्चाई कड़वी होती है, भले ही
लड़कियां कितने ही अति सुंदर लड़के की तरफ आकर्षित हो जाए लेकिन शादी उसी व्यक्ति
से करना पसंद करती है, जिसके साथ उन्हें अपना कोई भविष्य दिखे, तो अभी भी देर नहीं
हुई है तुम गंभीर होकर अपना काम करो और ज़िंदगी में कोई मुकाम हासिल करो, देखो फिर
तु्म्हारा भी जीवन कैसे नहीं बदलता है, या फिर जो तुम कर रहे हो उसमें ख़ुश रहना
सीख लो, कम से कम जो लड़की तुम्हें पसंद करेगी वो तुम्हारे स्वाभाविक रुप में
तुम्हें पसंद करेगी, ना कि जो तुम नहीं हो उसके लिए तुम्हें पसंद करेगी।’’
सच कहा दीदी खुद को
खुद की खुशी के लिए ही बदलना चाहिए ना कि किसी और के लिए तभी हम जीवन में ख़ुश रह
पाएंगे।
शिल्पा रोंघे