बुधवार, 21 जुलाई 2021

घनी पलकें


 

 

राधिका और उसकी सहेली रसिका एक दिन किस्मत देखने वाले एक इंसान के पास गए। वैसे राधिका का इन बातों पर ज्यादा यकीन नहीं था, क्योंकि रसिका जिद कर रही थी, तो वो चली गई।

वो इंसान बड़े-बड़े बालों वाला था, और ढीले ढाले कपड़े पहना था।

अच्छा बताओं कि मुझे चाहने वाला साथी कैसा होगा।’’  

राधिका और उसकी सहेली रसिका एक दिन किस्मत देखने वाले एक इंसान के पास गए। वैसे राधिका का इन बातों पर ज्यादा यकीन नहीं था, क्योंकि रसिका जिद कर रही थी, तो वो चली गई।

वो इंसान बड़े-बड़े बालों वाला था, और ढीले ढाले कपड़े पहना था।

अच्छा बताओं कि मुझे चाहने वाला साथी कैसा होगा।’’ राधिका ने कहा।

जो भी होगा उसकी पलकों पर घने बाल होंगे और माथा बड़ा बस इतना ही बताउंगा। आगे तुम पर है पहचान सको तो पहचान लेना।’’

रसिका को तो उसने उस इंसान के सात जनम बता दिए लेकिन राधिका को पूरी बात नहीं बताई।

“अरे यार कितने लड़कों के माथे बड़े होते है और पलकें घनी, मैं कैसे पहचानूंगी, मैं किसी लड़के को एकटक नहीं देख सकती हूं ये पहचनाने के लिए।’’ राधिका ने कहा।

 

“हां यार सारी सभ्यता हम लड़कियों के लिए ही है जैसे एक लड़का अगर लड़की तरफ देखे तो रुमानी इंसान, बड़े फ़क्र से वो ये बताते है कि वो फ्लर्ट है।’’ रसिका ने कहा।

 

“जो तेरे लिए रिश्तें आते है उनकी तस्वीरें देख ध्यान से, हो सकता है किसी की पलके घनी हों।’’ रसिका ने कहा।

फोटो में इतना समझ में नहीं आता।’’ राधिका ने कहा।

इस बात को एक साल बीत गया।

एक दिन  रसिका ने पूछा “मिला कोई घनी पलकों वाला, नहीं यार।’’ राधिका ने कहा।

 

राधिका के बगल के फ्लैट में रहने वाला प्रीतेश उसके लिए सॉफ्ट कार्नर रखता था, लेकिन उसकी पलकें घनी नहीं थी। राधिका भी उसके लिए गंभीर नहीं थी, वो जब भी बात करना चाहता, हंसकर टाल देती थी।

एक दिन जब राधिका दो-तीन दिन शहर से बाहर गई और अपने घर लौटी तो अपने फ्लैट का ताला खोलने लगी तो देखा कि प्रीतेश उसके सामने खड़ा था उसका कुरियर लेकर।

“तुम नहीं थी, तो कुरियर वाला मेरे पास छोड़ गया।’’ प्रीतेश ने कहा।

तभी राधिका का ध्यान प्रीतेश पर गया तो उसकी पलकें अचनाक ही बहुत घनी-घनी नज़र आने लगी।

तो राधिका ने पूछा “तुम्हारी पलकें इतनी घनी कैसे।’’

 “वो मैंने कैस्टर आइल लगाया था तो हो गई।’’

 प्रीतेश ने कहा।

“बहुत नुस्ख़े पता है तुमको ख़ुबसूरती के, जो मुझे लड़की होकर भी नहीं पता है।’’ राधिका ने कहा।

“वो तो है’’ कहकर वो वहां से निकल गया।

असल में उसने नकली आई-लैशेस लगा ली थी। घनी पलकों वाला राज वो भी जान चुका था।

तभी शाम को रसिका का फोन आया तो वो राधिका को बोली मिल गया वो घनी पलकों वाला इंसान।’’

“अच्छा कौन है वो ?’’ रसिका ने कहा।

“अरे बगल में छोरा, शहर में ढिंढोरा।’’ राधिका ने कहा।

“मतलब’’ रसिका ने कहा।

“कल आओ तुम्हें मतलब बताती हूं इसका।’’ राधिका ने कहा।

और दोनों सहेलियों की हंसी की आवाज ने कई दिनों की उलझन, सुलझने का सबूत दे दिया।

शिल्पा रोंघे

© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। 

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