अचानक विजय के पास स्मृति का फोन आया कहने लगी मुझे तुम एयरपोर्ट तक छोड़ दो ना।
तब विजय चौंककर बोला “आज अचानक मुझे क्यों कॉल कर रही हो क्या तुम्हारे माता पिता नहीं छोड़ सकते है तुम्हें ?”
तभी स्मृति ने कहा “तुम मेरे दोस्त हो ना? तो बहस मत करो मुझसे.”
स्मृति उसे अपने कॉलोनी के गार्डन के पास मिली तभी विजय की बाईक वहां रुकी उसने “पूछा कहां जा रही हो?”
21 साल की स्मृति बीकॉम तृतीय वर्ष की छात्रा थी।
विजय ने कहा “मुंबई में क्या काम पड़ गया तुम्हें ?”
“नौकरी लगी है.” स्मृति ने जवाब दिया।
“इतने जल्दी अभी तो तुम्हारा थर्ड ईयर भी कम्पलीट नहीं हुआ है.” विजय ने कहा.
अपने हाथ में मध्यम आकार का नीला बैग रखे हुए स्मृति की भाव भंगिमाएं थोड़ी बदल गई।
“सच बताओं माजरा क्या है ?” विजय ने कहा।
“अरे देर हो जाएगी”
“चलो तो सही.” कहकर स्मृति उसकी बाईक पर सवार हो गई.
आधे घंटे बाद एयरपोर्ट आ गया।
अभी फ्लाइट में दो घंटे की देरी थी।
तभी विजय को शक हुआ “मैं तुम्हें यहां छोड़ने आया हूं तो मेरी ये जिम्मेदारी बनती है सच जानने की बताओ मुझे वरना तुम्हारे माता- पिता को कॉल कर दूंगा.”
“पता नहीं तुमने उन्हें बताया की नहीं.”
स्मृति के माता और पिता नौकरी करते थे इसलिए उसे घर से जाते हुए कोई नहीं देख पाया। अपना एकाकीपन मिटाने के लिए उसने डेटिंग एप्स डाउलोड कर ली। जहां उसकी 27 साल के युवक रतन से दोस्ती हो गई, रतन देखने में काफी खूबसूरत था और उसकी खुद की एक एडवरटाइजिंग एजेंसी है और वो एमबीए का टॉपर है, ऐसा उसने स्मृति को बताया था।
ये बात स्मृति ने विजय को बता दी कि वो उससे ही मिलने जा रही है।
“ओह दिखाना ज़रा कौन है ये लड़का, अरे ये तो मेरे बड़े भाई की क्लॉस में पढ़ता था अपने ही शहर का है, ये तो 12 वी फेल है, हां ये काफी रईस घर का है लेकिन कई लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसा चुका है जब तक पिता पैसे भेजते रहे इसकी मौज होती रही एक दिन उन्हें इसकी करतूतों के बारे में पता चला तो उन्होंने उससे नाता तोड़ लिया। वो अपने काम को लेकर बिल्कुल सीरियस नहीं है मुश्किल से उसका खर्चा चलता है और उल्टे उसने कई जगह उधारी कर रखी है, लेकिन उसकी मीठी मीठी बातों और खूबसूरती के जाल में फंसकर कई अच्छा खासा कमाने वाली लड़कियां भी अपना पैसा गंवा चुकी है जब भी वो उसे आईना दिखाने की कोशिश करती है तो वो अपनी उनके साथ खींची गई तस्वीरें दिखाकर ब्लैकमेल करने लगता है इसलिए उसकी पोल आज तक नहीं खुल पाई। इसे महज़ इत्तेफ़ाक ही कह लो कि मैं उसे जानता हूं और तुम्हारी किस्मत अच्छी थी.” विजय ने कहा।
विजय ने फिर कहा “अच्छा उसने तुमसे क्या कहा ये बताओ ?”
“यही कि वो मुझसे प्यार करता है और शादी करना चाहता है इसलिए अपने सारे कपड़े और अपनी मां के सोने के गहने लेकर आ जाओ.” स्मृति ने कहा।
विजय ने कहा “क्या तुम उससे कभी मिली हो.?”
स्मृति ने जवाब दिया “नहीं”.
विजय ने कहा “कितनी बेवकूफ हो तुम जिसका रहने, खाने-पीने और भविष्य का कोई ठिकाना नहीं और तुम खुद भी आत्मनिर्भर नहीं हो तो इस रिश्ते का क्या भविष्य होगा ये सोचना चाहिए था तुम्हे, खैर अभी तुम्हारी उम्र ही कम है इस बात को समझने के लिए, तो दोष देना भी सही नहीं.”
विजय स्मृति से 5 साल बड़ा था और वो उसे भी राखी बांधती थी क्योंकि उसका कोई भाई नहीं था, सगा भाई ना होकर भी उसने स्मृति को बड़ी मुसीबत से बचा लिया।
स्मृति ने फ्लाइट की टिकिट के ढेर सारे टुकड़े करके डस्टबिन में डाल दिये।
उसे भी समझ में आ चुका था कि कभी कभी सफ़र में एकदम पीछे खींचकर ही आगे बढ़ा जा सकता है और विजय के साथ वापस अपने घर की तरफ चल पड़ी।
शिल्पा रोंघे
© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।
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