शनिवार, 3 अप्रैल 2021

प्यार की अमर कहानी

 


आज अदिती बेहद उदास थी तो सुमित ने उससे पूछा क्या बात है तुम्हारा मिज़ाज आज बदला-बदला सा क्यों है ?”

मैंने एक प्रेम कहानी पढ़ ली जिसमें नायिका नायक के चक्कर में अपनी जान से हाथ धो बैठती हैं। अदिती ने कहा।

तो नहीं पढ़नी चाहिए थी। सुमित ने कहा।

बहुत मशहूर थी और बेस्टसेलर भी, तो रहा नहीं गया। मेरे मन में उसे पढ़ने की रुचि इस कदर जगी  कि पढ़ने से खुद को रोक ही नहीं सकी। मुझे ये समझ नहीं आता कि ये सभी मशहूर कहानियां दुखांत क्यों होती है अक्सर, लैला मजनू् हो या फिर हीर रांझा बताओं ना।

तुम्हारी और मेरी प्रेमकहानी भी तो असंभव ही थी, कितनी पीढ़ियों की दुश्मनी थी हमारे परिवार के बीच।

दअरसल सुमित के दादा ने ही अदिती के दादा के खिलाफ केस लड़ा था,  सुमित के दादा शहर के मशहूर वकील थे उन्होंने तो बस किसी और की तरफ से केस लड़ा था लेकिन फिर  भी उन्होंने अंजाने में बुराई मोल ली। कुछ जायदाद वाला मामला था तो दोनों परिवारों में आपस में बात बंद हो गई थी, लेकिन सुमित और अदिती की शादी के बाद समीकरण बदल गया जो परिवार एक दूसरे का चेहरा भी देखना पसंद नहीं करते थे उनमें फिर से मित्रता हो गई। हालांकि काफी ना-नुकूर और विवाद हुआ था उस दौरान, लेकिन फिर भी ना जाने कैसा चमत्कार हुआ की धीरे-धीरे सब ठीक हो गया।

अदिती ने सुमित से कहा हां सही कह रहे हो तुम लेकिन हम तो ठहरे दो मामूली से इंसान कहां ये मशहूर कहानियां और कहां हम। हमारी कहानी भी किसी कथा से कम नहीं लेकिन किसे दिलचस्पी है इसके बारे में जानने में।

दअरसल लोग प्यार का अर्थ ही नहीं समझते है तुम मेरे लिए सारी दुनिया से लड़ गई फिर भी नासमझ ही हो। सुमित ने कहा।

वो कैसे अदिती ने कहा।

अरे पाना ही प्यार थोड़े ही है, किसी की खुशी के लिए अपनी खुशी कुर्बान करना भी प्यार है, कभी कभी

त्याग में ही प्रेम छिपा होता है।

दुनिया में दो लोगों के धरती पर मिलन को ही प्यार समझा जाता है लेकिन आत्मिक मिलन को भी प्यार कहा जाता है जो हमेशा के लिए अमर हो जाता है मिलना और बिछड़ना तो नसीब की बात है। ऐसे ही नहीं लोग राधा और कृष्ण के प्रेम की मिसाल देते हैं।

ये लो तुम्हारे लिए किताब और ये एक दुखांत नहीं सुखांत है, कहानी है वो भी बेस्टसेलर किताब।

ओह धन्यवाद कहते हुए अदिती के चेहरे पर वो मुस्कान आ गई जो लंबे वक्त से उड़ी हुई थी।


© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। 

 

शिल्पा रोंघे

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