रात के 10 बजे थे। 18 साल की रज्जो अपनी साइकिल से खेत से गुजरने वाले रास्ते से तेज-तेज गति में निकल रही थी। तभी धनिया वहां कुछ काम कर रहा था, बोला “ अरे इतनी रात को क्या काम है तुझे ? क्या प्रेमी से मिलने जा रही है जो अंधेरे का वक्त चुना है तुने, कुछ डर है कि नहीं तुझे, औरत जात है ज़रा संभालकर रहा कर।"
रज्जो ने कहा “नहीं वो स्कूल से आते वक्त मेरा बैग गिर गया था, वो ढूंढने जा रही हूं.”
“सुबह ढूंढ
लेती ऐसी भी क्या जल्दी
?” धनिया ने कहा।
“मैं आती हूं
जल्दी ही.”
रज्जो के मां
बाप सुबह उठकर खेत में काम करने के लिए उठते थे इसलिए वो नौ बजे ही सो जाते थे। तो रज्जो ने
रात का वक्त ही चुना।
आगे रास्ते में काले काले कुत्ते भौंक रहे थे, वो कुछ देर रज्जो की साइकिल के पीछे दौड़े लेकिन जल्दी ही दूसरी दिशा में मुड़ गए।
दअरसल गांव के
कुछ लड़कों ने अफवाह उड़ा रखी थी कि पुरानी हवेली में भूतों का वास है तो वहां जाना
नहीं चाहिए। पुरानी हवेली को माणिकराम के पूर्वजों ने 150 साल पहले बनाया था जहां
माणिकराम अपने बच्चों के साथ ही रहा करता था उसके 2 बेटों की शहर में नौकरी लग गई
तो वो वहीं बस गए लेकिन माणिकराम अपनी पत्नी के साथ अपने जीवन के अंत तक वहीं रहा
क्योंकि वो गांव छोड़ना नहीं चाहता था। उसकी मौत के 5 साल बाद भी उसके बेटे गांव
आए लेकिन उन्होंने 8 कमरों की हवेली को बेचने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि
वो शहर में काफी संपत्ती जमा कर चुके थे। हवेली भी काफी ज़र्जर हो चुकी थी गांव
में अब कोई मकान खरीदना भी नहीं चाहता था क्योंकि वहां रोजगार के मौके ही नहीं
होते है कुल मिलकार 50 परिवार ही बचे थे उस गांव में जो खेती बाड़ी से जुड़े हुए
थे।
रज्जों ने
सोचा वो आज सच पता लगाकर ही रहेगी। पुरानी हवेली के आस-पास भी एक दो टूटे फूटे
मकान ही थे जिनमें कोई नहीं रहता था। रज्जों ने कुछ दूर अपनी साइकिल खड़ी की और
धीमे कदमों से हवेली की तरफ बढ़ी और दरवाजे पर जा खड़ी हुई।
दरवाजा पुराना
था, इस वजह से उसमें मोटी मोटी दरारें थी। जब रज्जों ने झांककर देखा तो गांव के ही
कुछ लड़के शराब पी रहे थे और जुआ खेल रहे थे। ज़ोर जोर से खीं-खीं करके हंसने की
आवाज आ रही थी। फिर रज्जों ने थोड़ी हिम्मत की और खिड़की से झांककर देखा तो वो दंग
ही रह गई।
ये तो वही टीवी देख रहे है जो कुछ महीने पहले उसके घर से चोरी हो चुका था, उस पर वो लड़के मिडनाईट मूवी देख रहे थे। तभी उसका सिर अचानक से खिड़की पर लग गया तब हल्की सी आवाज हुई। चार लड़कों में से एक को कुछ हलचल महसूस हुई।
एक लड़का बोला
“लगता है कि बाहर कोई खड़ा है”
“अरे तेरा वहम
होगा तुझे भी भूत-प्रेत दिखाई देने लगे है क्या?” दूसरे लड़के
ने कहा।
“नहीं मैं जाकर
देखता हूं.” जिसे हलचल महसूस हुई वो लड़का बोला।
रज्जो ने हवेली के बाहर रखी अपनी साइकिल उठाई और वहां से
निकल पड़ी, हवेली के बाहर घनघोर अंधेरा था तो कोई रज्जों को देख ना सका लेकिन
लड़के को थोड़ी दूर से जाती हूं साइकिल
दिखी लेकिन वो रज्जो को पहचान नहीं पाया।
उसने अंदर
जाकर अपने दोस्तों से कहा “मुझे लगता है कि कोई यहां आया ज़रुर था.”
“अरे शहर से गांव
की तरफ जाने वाला रास्ता यहीं से गुजरता है तो कोई शहर से वापस लौट रहा होगा। रोज
ही ऐसा होता है लेकिन हमने जो लोगों के दिमाग में भ्रम भरा है तो कोई यहां आने की
हिम्मत तक नहीं करेगा तू चुपचाप बैठ यहां.”
साइकिल पर
सवार रज्जो ने आधा रास्ता तय कर लिया था, वो घबरा गई थी और सोचने लगी सचमुच उसे
धनिया की चेतावनी सुन लेनी चाहिए थी अगर कोई उसे देख लेता तो उसकी तो जान पर ही बन
आती।
कुछ ही देर
में उसका घर भी आ गया उसने धीरे से कुंडी खोली और अपनी मां के बाजू में जाकर सो गई
और सोचने लगी खामखां क्यों लोग भूत और प्रेतों को बदनाम करते रहते है मृत से
ज्यादा ख़तरनाक तो जिंदा इंसान ही होता है। ये राज उसने अपने दिल में ही दफ़न रखा क्योंकि
उसके गांव और परिवार वाले उसकी हिम्मत की दाद देने के बजाए उसे ही खरी खोटी सुनाने
लगते।
शिल्पा रोंघे
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